Member-only story
कृष्ण बलदेव वैद की अमर कहानी: “मेरा दुश्मन”
आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख रचनाकारों में से एक, कृष्ण बलदेव वैद अपने अनूठे कथानक और विचारोत्तेजक विषयों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी चर्चित कहानी “मेरा दुश्मन” मानवीय संबंधों की जटिलताओं और गहरे भावनात्मक संघर्षों को अत्यंत सरलता और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। यह कहानी हिंदी की 50 सर्वश्रेष्ठ कहानियों के संकलन में शामिल है, जो वैद की रचनात्मकता और उनके मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण का उत्कृष्ट उदाहरण है।
“मेरा दुश्मन” की संक्षिप्त कहानी
“मेरा दुश्मन” एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो किसी बाहरी शत्रु से नहीं, बल्कि अपने ही भीतर के संघर्ष से जूझ रहा है। कहानी का मुख्य पात्र अपने भीतर पल रही नफरत, क्रोध और द्वेष को किसी अज्ञात “दुश्मन” पर थोप देता है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह स्पष्ट हो जाता है कि असली लड़ाई बाहर नहीं, बल्कि उसके अपने अंदर चल रही है।
वैद बारीकी से कल्पना और वास्तविकता के बीच की सीमाओं को धुंधला करते हैं, जिससे पाठक यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या वह दुश्मन वास्तव में कोई व्यक्ति है या केवल मुख्य पात्र की आंतरिक अशांति का प्रतीक है। यह कहानी यह बताती है कि कैसे अव्यवस्थित भावनाएं हमारी दृष्टि को विकृत कर देती हैं और हमें आत्म-मंथन की ओर धकेल देती हैं।
“मेरा दुश्मन” में प्रमुख विषय
आंतरिक संघर्ष और आत्म-मंथन: “मेरा दुश्मन” का प्रमुख विषय आंतरिक संघर्ष है। मुख्य पात्र की नफरत और दुश्मनी किसी वास्तविक व्यक्ति…