Member-only story
हीर और रांझा: एक अमर प्रेम कहानी
हीर और रांझा: एक अमर प्रेम कहानी
पंजाब के दिल में, जहाँ के सुनहरे खेत हवा के साथ झूमते थे, एक लड़की रहती थी जिसका नाम हीर था। हीर अपनी खूबसूरती, शालीनता और अपने अनोखे आकर्षण के लिए मशहूर थी। उसकी हँसी एक मधुर गीत की तरह थी, और उसकी आँखें तारे बनकर चमकती थीं, जो भी उससे मिलता, उसका मन मोह जाता। हीर एक समृद्ध और इज़्ज़तदार सय्याल परिवार की थी, लेकिन अपने शान-ओ-शौकत भरे जीवन के बावजूद, उसका दिल एक ऐसे प्यार के लिए तरस रहा था जो उसकी रूह को पूरा कर सके।
एक दिन, एक युवा लड़का जिसका नाम रांझा था, उसके गाँव में आया। रांझा एक भटकता मुसाफ़िर था, एक सपने देखने वाला जो अपनी बांसुरी के जादू के साथ दुनिया को अपने गीतों में बाँध लेता था। अपने परिवार के साथ एक कड़वे विवाद के बाद, उसने अपना घर छोड़ दिया था और अब वो शांति के लिए खुले खेत और अपनी सुरिली धुनों का साथी था। जब रांझा की नज़र पहली बार हीर पर पड़ी, तो ऐसा लगा जैसे दुनिया थम गई हो। समय रुक गया। उनकी नज़रें मिलीं और बिना एक शब्द कहे, उनकी रूहों ने एक ऐसी बात करनी शुरू की जो शब्दों से परे थी।
हीर भी रांझा की तरफ़ खिंच गई थी। उसकी आँखों की गहराई, बातों की शायरी और उसके सुरों की मोहब्बत हीर को मोह ले गई थी। उनका प्यार बसंत के पहले फूल की तरह खिला — साफ़, मासूम और बेधड़क। वो छुपके-छुपके खेतों में मिलते, जहाँ रांझा अपनी बांसुरी बजाता और हीर उसे सुनती, उसका दिल एक नए एहसास से भर जाता।